घमंडी हाथी और चालाक बंदर - The arrogant elephant and the cunning monkey
घमंडी हाथी और
चालाक बंदर - The arrogant
elephant and the cunning monkey
एक दिन बंदर
और हाथी की गांव में मुलाकात हो गई तो वह दोनों आपस में अच्छी तरह से दोस्ती के
रूप में बातें करने लगे, हाथी कहने लगा कि मुझे बहुत खुशी
हुई कि मैं तुम्हें मिला मैं शायद दुनिया का सबसे बड़ा और ताकतवर जानवर हू। बंदर समझ गया था कि हाथी बड़ा और घमंडी है, इसीलिए बंदर ने कहा की दोस्त मुझे मालूम है कि तुम बहुत बड़े और ताकतवर हो, परंतु फिर भी किसी के होकर रहना चाहिए, हाथी
ने घमंड से कहा कि संसार में मुझे किसी का सहारा
नहीं चाहिए, मैं खुद ताकतवर हूं , हाथी की बात सुनकर बंदर के दिमाग में आया कि इसके घमंड को तोड़ना चाहिये ।
बंदर ने
अपने मित्र चूहा से बात की, और बंदर ने चूहे से कहा ,
कि हाथी जब तालाब में पानी पीने जाए, उससे
पहेल तालब के चारों तरफ की जमीन को खोखला करना है , तो
चूहे ने अपने मित्र बंदर की बात को मानकर अपने पूरे परिवार के
साथ तालाब के चारों तरफ सुरंग बना दी , जब हाथी तालाब में
पानी पीने के लिए गया, और वही अचानक सुरंग में फंस गया ,
दो दिन तक फसे रहने के बाद बंदर के मन में आया चलो
देखते हैं की अहंकारी का अहंकार खत्म हुआ या नहीं, जाकर देखा तो हाथी रो रहा था, और प्रार्थना कर
रहा था , कि हे ईश्वर इस बार मुझे पार लगा दो , मै सबके साथ मिल कर रहूँगा ।
जैसे ही बंदर और चूहा दोनों तालाब के पास पहुचे तो
हाथी ने जैसे ही बंदर को देखा और बोला मित्र मुझे बाहर निकालो,
आज से मैं आपका दोस्त बनकर रहूंगा,
बंदर ने अपने मित्र चूहा से कहा कि उनकी मिट्टी बराबर करके इनको
बाहर निकलो, तो चूहा ने अपने पूरे परिवार के साथ मेहनत
करके हाथी को बाहर निकाला और खुशी-खुशी सारे एक साथ में संगठित होकर रहन लगे ।
हमने क्या सीखा - तो दोस्तों इस कहानी का मकसद है की हर व्यक्ति को संगठित होकर ही रहना चाहिए अहंकार से नुकसान के सिवा और कुछ हासिल नहीं होता है।
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